Ek aisi aas

एक ऐसी आस

आंसू भी ज़रा घबराएं
कुछ इतना खुश मैं लगता हूं
जी रैना का भी पिघल जाए
पूरा दिन मैं जगता हूं
यह सारा ढोंग वो खुदा देखता ही नहीं
उसकी भाषा में समझा दो कोई
मैं अपनी भाषा में जो कहता हूं
कल मरने की है आस आज इसलिए मैं जिंदा रहता हूं।
                     -तरुण राज
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Ek aisi aas Ek aisi aas Reviewed by Sensitive_Observer on January 18, 2019 Rating: 5

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