Pyaar ek tarfa
प्यार-एक तरफ़ा
अफ़सानों का धागा था
वो शिद्दत की सुई लिए भागा था
फ़िर क्या जो सुई की नज़र माशूका को न देखती थी
हाल पूछो प्रेमी का, दिल के जिसको हर वक्त वो भेदती थी
घनी ज़ल्फ़ों के परे कोई बेपरवाह था
इन्हीं ज़ुल्फों को बसाए आँखों में प्यार किसी का एक तरफ़ा था।
-तरुण राज
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Pyaar ek tarfa
Reviewed by Sensitive_Observer
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January 16, 2019
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